होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)- होली पर निबंध हिंदी में Class 1 से 10 तक के लिए

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होली पर निबंध: नमस्कार दोस्तो आज का लेख होली पर निबंध 10 लाइन हिंदी में से संबंधित है। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे की होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) कैसे लिखे। निबंध की आवश्यकता हमे स्कूलों में ज्यादातर स्कूलों में होने वाले निबंध प्रतियोगिता और परीक्षाओं में स्टूडेंट्स को लिखने के लिए कहा जाता है। तो इस लेख में आपको होली पर निबंध लिखने से संबंधित सभी जानकारी मिल जाएगी। 

हमने कुछ निबंध उनके शब्दो के आधार पर लिख रखे है जो आपको होली पर निबंध प्रतियोगिता में सफल और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में भी मदद करेगी। आप चाहे तो हमारे द्वारा दिए गए होली पर निबंध से सारी जानकारी लेकर खुद एक अच्छा निबंध लिख सकते हैं।

होली पर निबंध
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होली पर निबंध से संबंधित कुछ विशेष जानकारी:

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त्योहारहोली
कब है होली?7,8 मार्च 2023
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होली के अन्य नामआका डोल 
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होली पर निबंध 10 लाइन हिंदी में [PDF]:

  1. होली एक हिंदू पर्व है जो वर्ष में एक बार फाल्गुन मास में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
  2. होली रंगों और हँसी खुशी का त्यौहार है।
  3. होली को दो अथवा तीन दिन तक मनाया जाता है।
  4. होली खेलने के एक दिन पहले हम सब होलिका दहन करते है।
  5. होली त्यौहार का संबंध हिंदू धर्म के पौराणिक कथा हिरण्यकश्यप के अत्याचार और प्रह्लाद की भक्ति से संबंधित है।
  6. होली का त्यौहार एक दूसरे से प्रेम स्नेह बढ़ाने वाला त्यौहार है।
  7. होलिका दहन के दिन सभी लोग अपने अपने घर से 5 लकड़ियां, 5 उपले, 5 प्रकार के पकवान और बर्रे जलाने के लिए ले जाते है।
  8. होली के दिन सभी के घर विभिन्न प्रकार के पकवान और गुझिया बनाया जाता है। और घर आए मेहमानों को खिलाया जाता है।
  9. होली कई तरह से मनाते है जैसे सुबह रंगो की होली, दोपहर में कीचड़ और पानी की होली, शाम के समय गुलाल की होली खेली जाती है।
  10. होली के दूसरे दिन सभी बच्चे अपने साथ गुलाल लेकर अपने बड़े बुजुर्गों को गुलाल लगाते है और आशीर्वाद लेते है।

होली पर निबंध PDF

होली त्योहार का महत्व:

होली का त्योहार विभिन्न रंगों का त्यौहार है जिसे हम सभी बड़े ही धूम-धाम से हंसी-खुशी मनाते है। होली एक ऐसा त्यौहार है जिसे हर धर्म के लोग मनाते है, एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते है और खुशियां मनाते है। वैसे तो होली भारत का एक महत्वपूर्ण पर्व व त्यौहार है परंतु अब धीरे धीरे करके पूरा विश्व रंग में रंग गया है और हर देश इस त्यौहार को बड़ी खुशी से और गाजे बाजे के साथ मनाया है। 

भारत में होली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष वसंत ऋतु में फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। मुख्यतः सबसे अधिक यह पर्व भारत और नेपाल में धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 में 7 मार्च को पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाएगी। वैसे तो यह त्यौहार एक दिन का है लेकिन कही कहीं इस दो दिन अथवा तीन दिन भी मानते है, जिसमे होलिका दहन, छोटी होली और बड़ी होली होती है।

इस दिन सभी स्कूलों में और कार्यालयों में दो दिन की सरकारी अवकाश होती है। पहले दिन हम लकड़ियों और उपलो को एक जगह इकट्ठा करके फिर उसमें अग्नि प्रज्वलित करके होलिका दहन मानते है और इसके साथ गाना बजाना भी होता है। दूसरे दिन हम सभी रंग बिरंगे गुलालो और पिचकारियों में रंग भर कर एक दूसरे को भिगोते है डांस करते है जिसमे बहुत मजा आता है।

होली के दिन सभी रिश्तेदार और दोस्त एक दूसरे के घर जाते है वहा धेरसारी मिठाई और पकवान होते है सभी खुशी खुशी खाते है और रंग खेलते है। इस दिन सभी एक दूसरे की गलतियों को माफ करते है, अपने अंदर की हीन भावना को खत्म करते हैं और होली का त्यौहार मनाते है।

होली त्योहार मनाए जाने का कारण:

होली मनाई जाने का मुख्य कारण इसके पीछे छुपी हुई हिंदू धर्म की एक पौराणिक कथा है जो भक्त प्रह्लाद से संबंधित है। तो चलिए जानते है भक्त प्रह्लाद की कहानी…

भक्त प्रह्लाद भगवान श्री हरी विष्णु के भक्त थे और उनके पिता का नाम हिरण्यकश्यप था। हिरण्यकश्यप एक असुर राजा था वह बहुत अत्याचारी और पापी राजा था वह स्वयं को भगवान मानता था।  जब उसे प्रह्लाद की भक्ति के बारे में ज्ञात हुआ तो उसने इसका विरोध किया। परंतु प्रह्लाद भगवान श्री विष्णु की आराधना करते रहे। कई बार तो हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद को जान से करने की भी कोशिश की किंतु प्रह्लाद के भक्ति की शक्ति के सामने सब विफल रहा। 

हिरण्यकश्यप के बार बार मना करने पर भी जब भक्त प्रह्लाद ने भक्ति नही छोड़ी और उसके कई प्रयासों के बावजूद जीवित रहे तो उसकी बहन होलिका ने हिरण्यकश्यप से कहा की वह प्रह्लाद को जिंदा जला सकती हैं। होलिका को ब्रह्म जी का वरदान प्राप्त था की वह किसी भी परिस्थिति में आग में नही जलेगी अर्थात उसको अग्नि से रक्षा का वरदान था।

अतः हिरण्यकश्यप बहन होलिका की बात मान गया। लकड़ियों की एक समाधि तैयार की गई जिसपर होलिका भक्त प्रह्लाद को अपने गोद में लेकर बैठ जाती है और फिर समाधि में आग लगा दिया जाता है। किंतु यह क्या भक्त प्रह्लाद पुनः भगवान श्री हरी का नाम जपने लगे और उनकी भक्ति की शक्ति के सामने होलिका का वरदान विफल हुआ।

अग्नि भक्त प्रह्लाद को तनिक भी स्पर्श नही कर पा रहा था और इसके विपरित होलिका स्वयं अग्नि में जल कर राख हो गई। भक्त प्रह्लाद की भक्ति और श्री हरी का नाम जप ने से वे सुरक्षित थे। भक्त की ऐसी भक्ति देख चारो तरफ श्री हरी के नाम का जयकारा लगने लगा। तब से लेकर आज तक हम सभी होलिका दहन करते है और होली मनाते है। 

इस कथा का अर्थ यह है कितनी भी कठिनाई और विपत्ति क्यों न आ जाए अगर हम ईश्वर की भक्ति और उनकी आराधना करते है तो हम सभी समस्याओं व विपत्ति को पार करके अपने लक्ष्य को प्राप्त करते है। इस कथा के प्रतीक स्वरूप ही हम प्रत्येक वर्ष इस दिन होली का त्यौहार मनाते है और होली खेलते है। होली के एक दिन पहले होलिका दहन करते है और अपनी सभी बुराइयों को खत्म हो जाने और होलिका दहन में जल जाने की कामना करते है ताकि हम सभी आने वाले समय में अपने जीवन को सही मार्ग पर ला सके।

होली के दिन ध्यान देने योग्य बातें:

होली पर निबंध
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होली का त्यौहार रंग और गुलालो का त्यौहार है। जिसमें हम सभी एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते है। भारत के कई ऐसे राज्य है जहा आज भी प्राकृतिक रंगों का व पुष्पों का प्रयोग होली खेलने में करते है। वैसे तो यह त्यौहार हंसी खुशी और हुड़दंगइ का त्यौहार है लेकिन कुछ लोग इस त्यौहार में जाने अंजाने में कई गलतियां कर देते हैं जो बाद में पछताने का कारण बनता है। तो आप ऐसी गलतियां ना करे उससे संबंधित कुछ ध्यान देने योग्य बातें आपको बताने की कोशिश करता हु। कृपया ध्यान पूर्वक पढ़े.

  • होली में जहा तक हो सके अपने त्वचा की सुरक्षा के लिए पूरे शरीर पर सरसो के तेल की मालिश करे। इससे हानिकारक रंगों से सुरक्षा मिलेगी।
  • आज कल ऑर्गेनिक और प्राकृतिक रंग बाजारों में नही बिकते जिसकी जगह पर बहुत ही हानिकारक केमिकल वाले और कांच वाले रंगो ने स्थान ले लिया है। जिसके प्रयोग से हमे बचना चाहिए।
  • होली खेलते समय स्वच्छ जल का करे प्रयोग।
  • होली खेलते समय बच्चो को और स्वयं भी चश्मे का प्रयोग करे। चश्मे आंखों में जाने वाली हानिकारक रंगों से सुरक्षा प्रदान करेंगी।
  • मदिरापान अथवा किसी भी नशे का प्रयोग न करे। नशा मुक्त होली खेले।
  • किसी को पानी वाले गुब्बारे न मारे। खासकर जब कोई वाहन चला रहा हो। अपने बच्चो को ऐसा करने से रोके। क्योंकि कभी यह दुर्घटना का कारण बन जाता है।
  • बूढ़े ब्यक्तियो पर गुब्बारे और पिचकारी न मारें।
  • अपने बच्चो को होली खेलने के संबंध में आवश्यक सावधानी बरतने के संबंध में जानकारी अवश्य दे।
  • पानी का प्रयोग जहा तक हो सके कम करें।

होली के कुछ रंगों का हानिकारक प्रभाव व बचने के उपाय:

वैसे हम सभी को होली का त्यौहार मानने का एकदम सुमार चढ़ाहोता है क्योंकि ये है ही खुसियों का त्यौहार। पर कभी कभी हम होली खेलने के आनंद में इतना खो जाते है की कुछ ऐसा कर बैठते है या कर देते है जो बाद में पछताने का कारण बनते है। अतः हमे होली तो खेलनी ही चाहिए लेकिन सावधानी बरतते हुए। स्वयं सावधानी बरते व दूसरो को भी सावधान करे और फिर खूब मस्ती से होली खेले। ये सावधानियां रंगो के संबध में ख़ासकर के है, तो चलिए जानते है वो क्या है..

  • होली के दिन ऐसे गुलालों का प्रयोग कतई न करे जिसमे कांच का मिश्रण हो। बाजार में प्राकृतिक और केमिकल रहित रंग और गुलाल भी उपलब्ध है उनका प्रयोग करे।
  • होली खेलने के एक दिन पहले हो सके तो अपने पूरे शरीर पर सरसो तेल की मालिश अच्छी तरह से करे। इस आप त्वचा संबंधी समस्या से बच सकते हैं।
  • रंग व गुलाल में किसी भी प्रकार का नशीला पदार्थ न मिलाएं इससे दुर्घटना होने की समभावना रहती है।
  • गुब्बारे वाले रंग किसी भी गाड़ी पर या वाहन चालक के ऊपर न मारे।
  • होली में ऐसी रंगो का प्रयोग कतई न करें जिससे किसी भी व्यक्ति को हानि व नुकसान पहुंचे।
  • बुरा न मानो होली है, इसका गलत तरीके से मतलब निकाल कर होली न खेले।

यह भी पढ़े: होली पर निबंध शब्दो में उनकी सख्या के आधार पर

होली पर निबंध 300 शब्दो में
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भारत के विभिन्न राज्यों की होली:

भारत के विभिन्न राज्यों में होली के इस पावन त्यौहार को बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। भारत के प्रत्येक राज्य में होली वहां के स्थानीय रीति रिवाज और परंपरा के आधार पर मनाया जाता है। प्रत्येक राज्य की होली में कुछ न कुछ अन्तर देखने को मिलता है। इस लेख में हम ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण और मुख्य राज्यो की (different types of Holi celebration in India)होली के बारे में जानेंगे..

  • लठमार होली – बरसाना गांव, उत्तर प्रदेश
  • फागुवा – बिहार
  • खादी होली – कुमाऊं क्षेत्र, उत्तराखंड
  • रंग पंचमी – महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश
  • होला मोहल्ला – पंजाब
  • मंजल कुली – केरल
  • बसंत उत्सव और डोल जात्रा- पश्चिम बंगाल
  • रॉयल होली – उदयपुर, राजस्थान
  • शिग्मो – गोवा
  • याओसांग – मणिपुर
  • फाकुवाह – असम

बरसाना गांव, उत्तर प्रदेश की होली:

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ऐसा कहा जाता है की भारत में सबसे पहले होली उत्तरप्रदेश के बरसाना गांव, वृंदावन में खेली गई। यहां की होली लठमार होली के नाम से प्रसिद्ध है। यहां की होली बरसो पुरानी परंपरा के आधार पर खेली जाती है जिसमें महिलाए पुरुषों को लाठी से मार कर होली मानती है।

बरसाने की लठमार होली कब है 2022?

इस साल 2023 में बरसाने की लट्ठमार होली 7 मार्च के दिन मंगलवार को है। इस दिन बरसाना में लट्ठमार होली खेली जाएगी और अगले दिन 8 मार्च दिन बुधवार को नंदगांव में लट्ठमार होली का उत्सव मनाया जाएगा।

बरसाना होली कैसे खेली जाती है?

बरसाने में लट्ठमार होली के दिन पूरे ब्रज में एक अलग प्रकार का उत्साह देखने को मिलता है। ऐसा कहा जाता है की भगवान श्री कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाने की और ये दोनो एक साथ होली खेला करते थे इसलिए होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं दोनो भाग लेती हैं। इस दौरान होली के समय नंदगांव के लोग अपने कमर पर फेंटा लगाकर बरसाना की महिलाओं के साथ होली खेलने के लिए पहुंचते हैं और बरसाने की महिलाएं उन्हे लाठियो से मारती हैं। दूसरी तरफ पुरुष उनके लाठियों से बचाने के लिए ढाल का इस्तेमाल करती हैं। लट्ठमार होली को देखने के लिए लोग दूर से दूर से हर साल मथुरा आते हैं।

बरसाना में होली क्यों मनाई जाती है?

बरसाने में लठ्ठमार होली खेलने के पीछे एक मान्यता है की जब श्री कृष्ण इस दिन राधा रानी से मिलने के लिए बरसाना जाते थे तो वे और उनके ग्वाले मित्र सभी मिलकर राधा और उनकी सहेलियों के संग पुष्प क्रीड़ा करते थे। जब वे क्रीड़ा करते करते राधा और उनकी सखियों को छेड़ते थे तो सभी सखियां और राधा उन्हें छड़ी लेकर मारने के लिए दौरा लेती थी।

वृंदावन में कितनी होली मनाई जाती है?

नंदगांव बरसाना वृंदावन और मथुरा सहित कई स्थानों पर रंग गुलाल की होली तो खेली ही जाति है लेकिन इसके साथ साथ और भी कई तरह की होली खेलने का प्रचलन है जिसमे रंगों से लेकर कीचड़ तक की होली खेली जाती हैं। जैसे रंग, गुलाल, पुष्पों की होली, लठ्ठमार होली, लड्डुमार होली, कपड़ा फाड़ होली जैसी और भी होली खेली जाती हैं।

बिहार की होली:

बिहार में होली के त्यौहार को भोजपुरी भाषा में फगुआ होली कहा जाता है। बिहार में होली खेलने से पहले होलिका दहन किया जाता है उसके बाद फगुआ होली खेला जाता है। यहा पर होली खेलते समय पानी, रंग, गुलाल और गाना बजाकर होली मनाते है।

बिहार में होली कैसे मनाई जाती है?

बिहार में होली फाल्गुन मास में होली का त्यौहार मनाते है। यहां पर होली खेलने से पहले होलिका जलाते है और लोकगीत गाकर त्यौहार मनाते है। होलिका दहन के दूसरे दिन फगुआ खेलते है।

बिहार में होली को क्या कहते हैं?

बिहार में होली को वहां के स्थानीय भाषा भोजपुरी मे फगुआ होली कहते हैं।

 बंगाल की होली:

बंगाल में होली को वसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है और इसे डोल जतरा के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर होली का त्यौहार का एक अपना ही आनन्द देखने को मिलता है। इस दिन लोग बसंत ऋतु के स्वागत में बसंत उत्सव मनाते है। 

बंगाल में होली कैसे मनाते हैं?

बंगाल में बसंत ऋतु का स्वागत करते हुए वसंत उत्सव माया जाता है। इसका एक अद्भुत दृश्य आपको रविंद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन में देखने को मिल जायेगा। जहा पर लड़के लड़कियां सभी पीले वस्त्र धारण करते है और राधा कृष्ण की प्रतिमा की एक झांकी निकालते हैं और रविंद्रनाथ टैगोर के गीत गाकर डोल जतरा मनाते है।

डोल और होली में क्या अंतर है?

डोल जतरा और होली दो अलग तरह का उत्सव है। बंगाल में डोल जतरा, पूर्णिमा के दिन राधा कृष्ण की प्रेम कहानी के आधार पर मनाया जाता है। जबकि होली का संबंध भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा से है।

बंगाल में होली को क्या कहते हैं?

बंगाल मे होली को बसंत उत्सव अथवा धोल जात्रा कहा जाता है।

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होली त्योहारों पर बनने वाले पकवान:

  • चंद्रकला
  • गुझिया
  • चूरमा/ चूरमे के लड्ड
  • अखरोट की बरफी
  • आटे के लड्डू
  • बेसन के लड्डू
  • शाही टोस्ट/ शाही टुकड़ा
  • गुलाब जामुन

होली पर निबंध से संबंधित FAQ:

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